The Definitive Guide to Fear Aur Dar Ko Kaise Jeetein – Tantrik Upay & Divya Sadhana



ध्यान से मन की चंचलता कम होती है और अंदर का डर धीरे-धीरे शून्य होने लगता है।

यद्यपि ध्यान-साधना के लिए प्रातःकाल का समय सबसे उपयुक्त होता है, फिर भी दिन में किसी भी समय, जब आपका पेट खाली हो, आप ध्यान कर सकते हैं। गहन ध्यान का अनुभव करने के लिए एक शांत स्थान का चयन करें।

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ध्यान-साधना हमारे मन को शांत करते हैं और किसी भी परिस्थिति का सामना करने की शक्ति देते हैं। यह हर उस व्यक्ति के लिए उत्तर है जिनका प्रश्न है कि मन के डर को कैसे निकालें। 

अक्सर देखा जाता है की कई बार शरीर से बलिष्ठ लोग भी डरपोक होते हैं. जबकि हकीक़त में दुसरे लोग उसके शरीर को देख देख कर अन्दर से उनसे डर रहे होते हैं.

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जिस वजह से उसके अन्दर से ख़ुशी गायब और तरह तरह के डर पनपने शुरू हो जाते हैं. डर और गलत काम का बहुत ही गहरा सम्बन्ध है. अगर आप कोई भी गलत काम नहीं करते, मेहनत और इमानदारी के साथ जीते हैं तो यकीन मानिए आप हमेशा निर्भीक रहेंगे.

डर एक ऐसी चीज है जिसे जितना पाले, पनाह देंगे, हमें उतना ही अपने चुंगल में समेटने लगता हैं। वक्त रहते यदि इस डर का इलाज नहीं किया जाए तो व्यक्ति धीरे-धीरे लेकिन बहुत छोटी छोटी बातों से भी घबरा कर चिंतित परेशान रहने लगता है, जैसे किसी बहुत बड़ी समस्या ने उसे घेर लिया है।

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नहीं ना? फिर किसी से इतना लगाव क्यों की हमें अंदर ही अंदर उसकी सार संभाल का डर लगने लगे? उससे जुदा होने का डर लगने लगे.

इसमें पीड़ित व्यक्ति को किसी भी चीज, स्थान, परिस्थिति और वस्तु को लेकर डर हो सकता है। डर लगने की स्थिति में अत्याधिक और ओवर रिएक्शन शामिल होता है। जब डर जरूरत से ज्यादा बढ़ जाए तो वह मानसिक विकार का रूप ले लेता है।

ऐसा करने से ही आपका आत्मविश्वास बढेगा और आप अपने अंदर के डर को धीरे धीरे दूर कर पाएंगे.

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उसके खो जाने का, उसके टूट जाने का, उसके चोरी हो जाने का या फिर उसके दूर चले जाने का. अरे भाई ये दुनिया ही नश्वर है तो चीज़ों की क्या औकात?

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